Friday 23 September 2011

क्या है जिंदगी ?


सांप -सीढ़ी का खेल है ,ये जिंदगी 
( के.पी .त्यागी से उधार ) 
शह और मात का खेल है ,ये जिंदगी 
सुबह,दोपहर,शाम है ,ये जिंदगी 
बदलते मौसम का नाम है ,ये जिंदगी 
न अपनी ख़ुशी से आना है ,जिंदगी 
न अपनी से ख़ुशी से जाना है जिंदगी 
जिन्दगी ,महाभारत है 
जिंदगी,मोहब्बत भी  है
जहाँ दिल लग जाये ,
वह भी है जिंदगी ,
जहाँ दिमाग फस जाये ,
वह भी है जिंदगी ,
कभी किसी से जुड़ जाना ,
है जिंदगी ,
फिर उसी से मुड जाना भी,
है जिंदगी 
कभी जुड़ना ,कभी मुड़ना ,
है जिंदगी ,
सन चालीस से दो हजार ग्यारह 
का सफ़र है ,मेरी जिंदगी 
तुझको सलाम है ये जिन्दगी 
सलामत रहे तू जिंदगी ,
कितने रंग देखें हैं  तूने जिन्दगी 
कितने ढंग बरते है तूने  जिन्दगी
कितनी बकवास थी ये जिन्दगी ,
कितनी खुशगवार थी ये जिन्दगी  ,
सोचो तो सदाबहार है ये जिन्दगी ,
उठापटक है ये जिन्दगी 
प्रवाह है जिन्दगी ,
लहूलुहान भी है जिन्दगी ,
हे भगवन,भगवान  है जिन्दगी 
रामायण ,पुराण है जिन्दगी ,
चलती ,दुकान भी  है जिंदगी ,
'मन चंगा तो कठौती में गंगा भी जिन्दगी ,'
उलझे तारों को सुलझाना भी जिन्दगी ,
सुलझे तारों को उलझाना भी जिन्दगी ,
क्या क्या है जिन्दगी ,
क्या नहीं है जिन्दगी ,
कभी नाम,
कभी बदनाम है जिन्दगी ,
कभी काम ,
कभी विश्राम है जिन्दगी ,
चालाकी भी जिंदगी ,
झंझटो से दूर रहना भी जिन्दगी ,
चुनोती से झूझना भी है जिन्दगी,
शेर ,हाथी, श्रगाल,लोमड़ी ,बन्दर 
 सभी है एक जिन्दगी ,
हाइड्रोजन-ओक्सिजन ,
कार्बन-हाइड्रोजन ,है जिन्दगी ,
इनका रचना संसार भी है जिन्दगी 
इन्ही का लब्बो-लुबाब है जिन्दगी 
चांदनी,जुल्फ ,रक्श, शेर-ओ-शराब,
( फ़िराक साहेब से मुआफी के साथ )
ये भी है जिन्दगी   ,
मासूमियत,बचपन,तरुणाई,
जवानी,प्रोढ़ता या बुढ़ापा ,
अलग-अलग पड़ाव तेरे ,
ये जिन्दगी ,
एक स्वछन्द  सैलाब  ,
की मानिंद बहती  जिन्दगी ,
गाती ,चहकती जिन्दगी |
बस यही है  जिंदगी ,
मेरी,तुम्हारी या किसी की जिंदगी |
----------------ॐ------------------
 

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