धुंआ उट्ठा है अगर ,
आग तो कहीं होगी ही ,
हवा है ,पानी है अगर,
जिन्दगी तो होगी ही ,
मोहब्बत है अगर ,
दीवानगी तो होगी ही ,
शेर है ,शराब है अगर ,
जवानी तो होगी ही ,
मैं हूँ और तू है अगर ,
कहानी तो कोई होगी ही |
महिपाल ,१३ जून ,२००३ ,ग्वालियर
(प्रेषित २२ अक्टोबर,२०११ ,ग्वालियर )
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