Tuesday 29 November 2011

चिरंतन-सत्य


मेरे दोस्त ,
ईमानदार आदमी बहुत खतरनाक होता है ,
वह अपने कपाट तो खोल कर ,
रखता ही है ,
औरों के कपाट भी  ,
बिना बताएं  ,बिना खट खटाए ,
धक्का मार के खोल देता है ,
ईमानदार आदमी बहुत खतरनाक होता है ,
मेरे दोस्त ,
ईमानदार आदमी ------

ईमानदार आदमी ---
वह मुखौटा तो कोई ओढ़ता नहीं ,
औरों के मुखौटे को भी  तलवार की ,
आड़ी मार से तोड़  देता है ,
विपरीत रास्ते मोड़ देता है,
मेरे दोस्त ,ईमानदार आदमी ----
मेरे दोस्त 

ईमानदार आदमी ,
वह खुद तो धधकता ही रहता है ,
बर्फ के पुतलों में भी ,
कुछ हरकत हो ,इस कोशिश के साथ ,
दियासलाई रगड़ देता है
ईमानदार आदमी बहुत--
मेरे दोस्त ,

ईमानदार आदमी ,
चूँकि वह चैन की नींद सोता है ,
उसका खजाना उसके पास होता है ,
भरी महफ़िल में वह औरों पर ,
सवार होता है ,अपनी जमीर  अपने पास रख,
औरों की गिरफ्त से दूर होता है ,
ईमानदार आदमी --
मेरे दोस्त ,ईमानदार आदमी बहुत --

ईमानदार आदमी ,
औरों के राज तो उसके ,पास तो होते हैं ,
पर उसका कोई राजदार ,
नहीं होता है ,
और चलते हैं ,छुप-छुप कर ,
डर - डर कर ,वह सरे-आम ,खूंखार होता है ,
ईमानदार आदमी बहुत ---
मेरे दोस्त , ईमानदार आदमी बहुत ----

ईमानदार आदमी ,
वह औरों के हांके हकता नहीं ,
छद्म ताकत के सामने झुकता नहीं ,
मोड़ने से मुड़ता नहीं ,
तोड़ने से तुड़ता नहीं ,
जोड़ने से जुड़ता नहीं ,
तोड़ने ,मोड़ने ,जोड़ने की ,
'साजिश ' में लीन लोगों को,
ऐसा आदमीं ,नागवार होता है ,
इसीलिए ईमानदार आदमीं 
बहुत खतरनाक होता है  ,
मेरे दोस्त ,
ईमानदार आदमी बहुत -----

ईमानदार आदमी ,
'बे-ईमान'तो जीते जी 'लाश'होते हैं ,
जबकि 'इसका 'मरने के बाद ,
'भूत' जिन्दा होता है ,
इसीलिए आज महा-भारत का 
पर्याय ,'गुजरात 'होता है ,
ईमानदार आदमी ,
बहुत खतरनाक होता है ,मेरे दोस्त ,
ईमानदार आदमी |

महिपाल ,(रचना-काल ,जुलाई १९७४ ,अब तक डायरी में कैद )
मुक्ति-दिवस ३१ अक्तूबर ,२०११ ,रात्रि ११.३९        
 

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